Pages

Friday 28 July 2017

खुली आँखे तेरी राह तकती हैं

खुली आँखे तेरी राह तकती हैं
बंद आँखे तेरे ख्वाब देखती हैं
तू मेरे मुक़द्दर में नहीं,ये बात
मेरे  हाथ  की लकीरें कहती हैं  
तुझसे तो अच्छी तेरी तस्वीर
मेरी नज़्म व ग़ज़लें सुनती है  

मुकेश इलाहाबादी -----------

No comments:

Post a Comment