अल्हड़ नदी आस रख गयी
मेरे होंठो पे प्यास रख गयी
बंद दरीचों की झिर्री से आ
खुश्बू का एहसास रख गयी
इक प्यारी से मुस्कान दे के
वो तोहफा इक खास दे गयी
मुकेश इलाहाबादी --------
मेरे होंठो पे प्यास रख गयी
बंद दरीचों की झिर्री से आ
खुश्बू का एहसास रख गयी
इक प्यारी से मुस्कान दे के
वो तोहफा इक खास दे गयी
मुकेश इलाहाबादी --------
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