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Friday 8 September 2017

शबोरोज़ मेरे वज़ूद में बहती है

शबोरोज़ मेरे वज़ूद में बहती है
तेरी यादें एक खूबसूरत नदी है

तेरे हिज़्र में वक़्त नहीं कटता,,
तुझ बिन हर लम्हा एक सदी है

मेरे सीने पे अपना सिर रख दे,
फिर सुन,धड़कने क्या कहती हैं

मुकेश तू मेरा हाथ छू कर देख
मेरे बदन में हरारत सी रहती है

मुकेश इलाहाबादी -------------

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