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Friday 6 October 2017

जब भी तुम खुश हो

जब
भी तुम खुश हो
हँसना
खूब हंसना जोर जोर से
उड़ना चिड़िया सा
या फिर फुदकना गिलहरी सा
और
नाचना आंगन में
बड़े से घांघरे को गोल गोल फहरा के

पर
जिस दिन जी उदास हो
मन रोने -रोने को हो
किसी के कांधे पे सर रख सोने को मन हो
बेशक - आ जाना मेरे पास

मिलूँगा मै तुम्हे
तुम्हारे इंतज़ार में

मुकेश इलाहाबादी ----------------------

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