तेरी
अदाओं की सोंधी मिट्टी
को चाहत के आब से गूंथ के
वक़्त के चाक पे रख दिया है
देखना एक दिन ईश्क़ का
चराग़ ज़रूर मुकम्मल होगा
जिसकी रोशनी से रौशन होंगे
हमारे, दिन और रात
मुकेश इलाहाबादी ------------------
अदाओं की सोंधी मिट्टी
को चाहत के आब से गूंथ के
वक़्त के चाक पे रख दिया है
देखना एक दिन ईश्क़ का
चराग़ ज़रूर मुकम्मल होगा
जिसकी रोशनी से रौशन होंगे
हमारे, दिन और रात
मुकेश इलाहाबादी ------------------
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