रेत् के महल बनाता हूँ
तेरे ही ख्वाब देखता हूँ
ढेर सारा उजाला बांटू
इसी लिए मै जलता हूँ
किसी दिन तो पढ़ोगी
जो ग़ज़ल लिखता हूँ
सारी दुनिया मतलबी
सुन सिर्फ मै ही तेरा हूँ
मुकेश इलाहाबादी ----
तेरे ही ख्वाब देखता हूँ
ढेर सारा उजाला बांटू
इसी लिए मै जलता हूँ
किसी दिन तो पढ़ोगी
जो ग़ज़ल लिखता हूँ
सारी दुनिया मतलबी
सुन सिर्फ मै ही तेरा हूँ
मुकेश इलाहाबादी ----
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