फलक पे उड़ने उड़ने को जी चाहता है
तुमसे मिल के मन परिंदा हो जाता है
आहट तो होती है, पर कोई होता नहीं
जाने कौन है ? कुंडी खटखटा जाता है
मै मौन हूँ तुम भी तो देर से चुप, फिर
ये कौन है जो कानो में गुनगुनाता है ?
मुआ ईश्क़ भी इक पिल्ले का बच्चा है
वक़्त बेवक़त, भौंकता है चिंचियाता है
तुम्हारी आँखे मेरा डाकिया मुझसे तेरा
हाले दिल सुना जाता है, बता जाता है
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
तुमसे मिल के मन परिंदा हो जाता है
आहट तो होती है, पर कोई होता नहीं
जाने कौन है ? कुंडी खटखटा जाता है
मै मौन हूँ तुम भी तो देर से चुप, फिर
ये कौन है जो कानो में गुनगुनाता है ?
मुआ ईश्क़ भी इक पिल्ले का बच्चा है
वक़्त बेवक़त, भौंकता है चिंचियाता है
तुम्हारी आँखे मेरा डाकिया मुझसे तेरा
हाले दिल सुना जाता है, बता जाता है
मुकेश इलाहाबादी ---------------------
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