हमसे मुहब्बत करना या लड़ लेना
ज़िन्दग़ी में इक बार तो मिल लेना
गर किसी रोज़ मेरे कूचे से गुज़रो
पल -दो-पल मेरे घर भी रुक लेना
भले तुम दाद देना या न देना, मगर
इकदो ग़ज़ल मुकेश की भी सुन लेना
मुकेश इलाहाबादी -----------------
ज़िन्दग़ी में इक बार तो मिल लेना
गर किसी रोज़ मेरे कूचे से गुज़रो
पल -दो-पल मेरे घर भी रुक लेना
भले तुम दाद देना या न देना, मगर
इकदो ग़ज़ल मुकेश की भी सुन लेना
मुकेश इलाहाबादी -----------------
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