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Sunday 12 November 2017

बाद मेहनत के भी नाक़ामियाँ रही

बाद मेहनत के भी नाक़ामियाँ रही
मेरे हिस्से फ़क़त  बदनामियाँ रही

जब  तक  महफ़िल रही दोस्त रहे
बाद उसके,तो सिर्फ तन्हाईयाँ रही 

ईश्क़ में शुकूँ पल दो  पल का रहा
फिर उम्रभर केवल  रुसवाइयाँ रही

जो हिमालय थे वे शान से तने रहे
मै क्या करता पास मेरे घटियाँ रही

बहुत बरसे, बादल  स्याह ज़ुल्फ़ों के
दिल में तो शोले और बिजलियाँ रही

मुकेश इलाहाबादी -----------------

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