तुम्हारे लिए इतनी बेताबी क्यूँ रहती है ?
तुमसे मिलनी की बेकरारी क्यूँ रहती है ?
गर तू मेरा कोई नहीं और तू मेरी नहीं,
फिर एक दूजे को इंतज़ारी क्यूँ रहती है ?
बातें करती हो तो दिल खुश खुश रहता है
मुकेश वर्ना सारे दिन उदासी क्यूँ रहती है?
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
तुमसे मिलनी की बेकरारी क्यूँ रहती है ?
गर तू मेरा कोई नहीं और तू मेरी नहीं,
फिर एक दूजे को इंतज़ारी क्यूँ रहती है ?
बातें करती हो तो दिल खुश खुश रहता है
मुकेश वर्ना सारे दिन उदासी क्यूँ रहती है?
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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