Pages

Monday 13 November 2017

टप्पा खाता रहा उसके हाथ आता रहा


 टप्पा खाता रहा उसके हाथ आता रहा
 हर बार वह मुझे गेंद सा उछालता रहा

 टूटते हुए काँच की खनक उसे पसंद थी
 मेरे दिल के टुकड़े कर कर फेंकता रहा

उसकी हर अदा पसंद आयी ये और बात
दिले खिलौना वो तोड़ता, मै जोड़ता रहा

मुकेश इलाहाबादी -------------------------

No comments:

Post a Comment