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Friday 26 January 2018

खुद को घिस कर चन्दन हो जाओ

खुद को घिस कर चन्दन हो जाओ
कुछ ऐसा कर कि मधुबन हो जाओ

देख ले कोई भी अपनी सूरत तुझमे
ख़ुद को ऐसा माँझो, दर्पन हो जाओ

सारे तीरथ मात पिता के चरणों में
ऐसी सेवा कर,कि सरवन हो जाओ

सजन  सुजान कह गए देह माटी की
पर कर्मो से, अनमोल रतन हो जाओ

भले गीत, ग़ज़ल, रुबाई कुछ भी गा
कुछ तो ऐसा गा मन मगन हो जाओ

मुकेश इलाहाबादी -------------------

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