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Tuesday 13 March 2018

बुलबुल, दीवार पे चुप चुप अच्छी नहीं लगती

बुलबुल, दीवार पे चुप चुप अच्छी नहीं लगती
तुम्हारी खामोशी बिलकुल अच्छी नहीं लगती
तुम थे साथ अपने तो हर मौसम सावन भादों
तुम बिन ये बादल- बारिस अच्छी नहीं लगती

मुकेश इलाहाबादी ------------------------------

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