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Thursday 22 March 2018

तेरे बदन की खुशबू से तरबतर हो जाऊँ

तेरे बदन की खुशबू से तरबतर हो जाऊँ
स्याह घनी ज़ुल्फ़ों की छाँव में सो जाऊँ
मंज़िल तक पंहुचा देगा कोई भी रास्ता
सोचता हूँ राहे ईश्क़ में चलकर खो जाऊँ
 मुकेश इलाहाबादी --------------------

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