उधर तेरी आँखों में इक नीली झील बहती है
इधर, मेरे होंठो में इक प्यास निहाँ रहती है
ज़िंदगी जब कभी फुर्सत देती है पल दो पल
जाने क्या क्या मुझसे मेरी तन्हाई कहती है
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
इधर, मेरे होंठो में इक प्यास निहाँ रहती है
ज़िंदगी जब कभी फुर्सत देती है पल दो पल
जाने क्या क्या मुझसे मेरी तन्हाई कहती है
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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