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Friday, 30 March 2018

उधर तेरी आँखों में इक नीली झील बहती है

उधर तेरी आँखों में इक नीली झील बहती है 
इधर, मेरे होंठो में इक प्यास निहाँ रहती है 
ज़िंदगी जब कभी फुर्सत देती है पल दो पल 
जाने क्या क्या मुझसे मेरी तन्हाई कहती है 
मुकेश इलाहाबादी ------------------------

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