जी तो चाहता हैं बाँहों में ले कर देखूं
चाँद फ़लक़ से उतरे तो जी भर देखूँ
ख़ुदा ! ऐसा कर मुझे परिंदा बना दे
बादलों के पार जा तुम्हारा घर देखूं
तुझे इक बार देख कर जी न भरेगा
जी तो चाहे है तुझे शामो-सहर देखूँ
तेरी तस्वीर लगा रखी है हर तरफ
मुकेश सिर्फ तुझे देखूँ, जिधर देखूँ
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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