Pages

Saturday 2 June 2018

था हमसे किसी बात पे ख़फ़ा बहुत

था हमसे किसी बात पे ख़फ़ा बहुत
जब मिला तो, लिपट के रोया बहुत

अपने किस्से सुनाए, कामियाबी के
फिर मेरी हालत पे उदास हुआ बहुत

एक एक कर याद आये पुराने मित्र
बिछड़े दोस्तों को मिस किया बहुत

वही हँसी, वही दिल्लगी वही अंदाज़
मुलकात का लुत्फ़ हमने लिया बहुत

ज़माना गुज़र गया मगर भूला नहीं
आज भी उसका नाम ले रोया बहुत

मुकेश इलाहाबादी ------------------

No comments:

Post a Comment