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Saturday 27 October 2018

तुम,
मेरे,
गिफ्ट लौटा सकती हो
ख़त जला सकती हो
चैट बॉक्स व मेसेंजेर से
सारे मेसेज डिलीट कर सकती हो
पर,
उन उन यादों का क्या करोगे?
जो लिपटी रहेंगी
तुम्हारे इर्द गिर्द
धूप, हवा और पानी की तरह,
या फिर
तुम्हारे सीने मे आती  जाती रहेंगी
श्वास की  तरह

मुकेश इलाहाबादी.......

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