पहले
मुँह में ताला जड़ा गया
आँखों पे पट्टी बाँधी गयी
हथेलियों को ज़मीन पे रखवा के
चौपाया बनाया गया
पीठ पे जीन कसी गयी
फिर चाबुक चलते हुए दौड़ाया गया
क्यों कि सरदार ने कहा
हमें विकास के रस्ते पे जाना है
लिहाज़ा ये ज़रूरी है
कुछ लोग सरदार के कहने से घोड़े बन कर खुश हो गए
सरपट - सरपट दौड़ने लगे
पर कुछ ने विरोध किया
कोड़े खाए - दुलत्ती चलाने और न दौड़ने के एवज़ में
और जिन घोड़ों ने फिर भी दौड़ने से मना कर दिया
उन्हें गोली मार दी गयी
और - कारवां बढ़ने लगा - विकास के रस्ते पे
या फिर - सरदार के अहम् के रस्ते पे
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
मुँह में ताला जड़ा गया
आँखों पे पट्टी बाँधी गयी
हथेलियों को ज़मीन पे रखवा के
चौपाया बनाया गया
पीठ पे जीन कसी गयी
फिर चाबुक चलते हुए दौड़ाया गया
क्यों कि सरदार ने कहा
हमें विकास के रस्ते पे जाना है
लिहाज़ा ये ज़रूरी है
कुछ लोग सरदार के कहने से घोड़े बन कर खुश हो गए
सरपट - सरपट दौड़ने लगे
पर कुछ ने विरोध किया
कोड़े खाए - दुलत्ती चलाने और न दौड़ने के एवज़ में
और जिन घोड़ों ने फिर भी दौड़ने से मना कर दिया
उन्हें गोली मार दी गयी
और - कारवां बढ़ने लगा - विकास के रस्ते पे
या फिर - सरदार के अहम् के रस्ते पे
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
No comments:
Post a Comment