सोचोगी भी और कुछ न बोलोगी
हाँ न के झूले में कब तक झूलोगी
तनहाई के गुप्प अँधेरे में छुपकर
तुम कबतक चुपके चुपके रोओगी
आ जाओ हक़ीक़त की दुनिया में
यूँ सपनो में तुम कबतक डोलोगी
वक़्त अभी भी है आ जाओ वर्ना
रातों को मुझको तारों में ढूँढोगी
मैंने तो कह दी है दिल की बातें
तुम दिल की गाँठे कब खोलोगी
मुकेश इलाहाबादी ---------------
हाँ न के झूले में कब तक झूलोगी
तनहाई के गुप्प अँधेरे में छुपकर
तुम कबतक चुपके चुपके रोओगी
आ जाओ हक़ीक़त की दुनिया में
यूँ सपनो में तुम कबतक डोलोगी
वक़्त अभी भी है आ जाओ वर्ना
रातों को मुझको तारों में ढूँढोगी
मैंने तो कह दी है दिल की बातें
तुम दिल की गाँठे कब खोलोगी
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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