एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Tuesday, 26 February 2019
सीने में तीर सा चुभाती रही
सीने में तीर सा चुभाती रही
हवा रातभर सनसनाती रही
रेत् पे तेरा नाम लिखता रहा
लहरें आ आ के मिटाती रही
कैसे कहूँ मौसमे दर्द में भी
यादें तेरी लोरी सुनाती रही
बहुत कोशिश की भूल जाऊं
रह - रह तेरी याद आती रही
मुकेश इलाहाबादी -----------
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment