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Wednesday, 6 February 2019

दुपहरिया सूनसान सड़क पे

दुपहरिया
सूनसान सड़क पे 
धूप की चादर तनी हो
पसीना चुह चुहा रहा हो
तनबदन पे
अचानक
बदरिया बन छा जाओ
तुम,
बरसो खूब बरसो
मै भीगता रहूँ
देर तक बहुत देर तक
जब तक ये सूनी सड़क पार न हो जाए
तब तक

या, 
कि ऐसा हो
किसी दिन मै घुल जाऊँ
हवा में
और लिपट जाऊँ
तुम्हारे इर्दगिर्द खुशबू सा 

सच ! सुमी ऐसा हो तो कैसा हो ????

मुकेश इलाहाबादी -----------------------

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