इत्र की नदी में नहाई है हवा
तेरा बदन छू के आई है हवा
तेरा बदन छू के आई है हवा
तुम हँसे तो कमरा हंसने लगा
बहुत देर बाद मुस्कराई है हवा
बहुत देर बाद मुस्कराई है हवा
दम घुट रहा था तन्हाई मेें
मेरा
मुकेश तुम आए तो आई है हवा
मेरा
मुकेश तुम आए तो आई है हवा
मुकेश इलाहाबादी,,,,,
No comments:
Post a Comment