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Tuesday, 28 April 2020

कभी झरने सा बहते हो

कभी झरने सा बहते हो तो कभी बादल सा बरसते हो
तन बदन भिगो देते हो जब भी मुस्कुराते हो हँसते हो

यूँ तो तुमसे बात करो तो बातों का खज़ाना रखते हो
बात मुहब्बत की आये तो मुस्कुराते हो चुप रहते हो

जब भी मिलते हो सारे जहाँ की खबर सुनाते हो तुम
तुम्हारे दिल में क्या है बस यही बात छुपाये रखते हो

मुकेश इलाहाबादी -------------------------------

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