जो इक बार दिल के अंदर आ गया जा नहीं सकता
मै अपने जिगर में एग्जिट का दरवाज़ा नहीं रखता
अब तो मुद्दत से आदत हो गयी है ख़ामोश रहने की
कोई ख़ास वजह न हो तो मै मुस्कुराया नहीं करता
खाक भी दे जाए कोई खुशी से तो रखता हूँ खुशी से
बस एहसासन ही तो है जो मै किसी का नहीं रखता
जो अपने हैं अपनों के लिए तो हाज़िर ही रहता हूँ मै
मुकेश गैरों का भी दिल मै कभी दुखाया नहीं करता
मुकेश इलाहाबादी --------------------------------
No comments:
Post a Comment