आओ बारिश में थोड़ी सी शरारत करें
छप छप करते हुए कुछ दूर तक चलें
वो देखो चिड़िया कैसे दुपक के बैठी है
बस ऐसे ही हम तुम भी संग संग चलें
कुछ दूरी पर इक वीरान सी पुलिया है
वहां कुछ पल बैठें भीगें गपशप कर लें
भीगे- भीगे फूल भीगी- भीगी कलियाँ
खूबसूरत नज़ारे को आँखों में भर लें
अपनी ये शतरंगी छतरी बंद कर लो
अमृत सी बारिश की बूंदे महसूस लें
मुकेश इलाहाबादी -------------------
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 22 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 22 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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