किसी दिन उड़ते उड़ते फलक तक जाऊँगा
वहां तुम्हारे नाम का सितारा जड़ आऊँगा
तुम ये जो रोज़ मुझे चिढ़ा के छुप जाती हो
किसीरोज़ मै भी चुटिया खींच भाग जाऊँगा
मेरी आँखों में सिर्फ तेरे नाम का आइना है
किसी रोज़ तुमको तेरी सूरत दिखलाऊँगा
तुम्हारी आंखों में ये जो उदासी का सहरा है
बादल सा बरसूँगा इसे हरा भरा कर जाऊँगा
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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