किसी की याद में डूबी आँखे
हैं आँसुओं से डबडबाई आँखे
वादा किया था लौट आएगा
ये उसी की राह तकती आँखे
रात भर सोया नहीं है दर्द से
देख तो उसकी उनींदी आँखें
यूँ ही नहीं हो गयी हैं ये सुर्ख
किसी के हिज़्र में हैं रोई आँखे
आ प्यार की लोरी सुना दूँ तो
शायद सो जाएँ ये थकी आँखें
मुकेश इलाहाबादी ---------------
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार (१५-०८-२०२०) को 'लहर-लहर लहराता झण्डा' (चर्चा अंक-३७९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
aabahr Anita jee- post pe charcha ke lye - krpya charcha kee link bhej den -
Deleteवाह लाजवाब /उम्दा।
ReplyDeleteaabhar mtira - post pasandgee ke liye
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