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Monday, 10 August 2020

जब से हमारे रस्ते जुदा हो गए

 जब से हमारे रस्ते जुदा हो गए 

वो खुश और हम तनहा हो गए


अपने ही हाथो से तराशा जिन्हे 

वे ही पत्थर मेरे ही ख़ुदा हो गए 


जिनके लिए झील थे दरिया थे 

मुफलिसी में हम सहारा हो गए 


फकत इक झलक देखी खुदा की 

उसी पल से तो हम बावरा हो गए 


तू हाले दिल मेरा न पूछ मुकेश 

हम क्या थे और ये क्या हो गए 


मुकेश इलाहाबादी ---------------





 

3 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (12-08-2020) को "श्री कृष्ण जन्माष्टमी-आ जाओ गोपाल"   (चर्चा अंक-3791)   पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    योगिराज श्री कृष्ण जन्माष्टमी  की 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'  
    --

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  2. बहुत बढ़िया इलाहाबादी जी

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