एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Sunday, 27 December 2020
ताने बाने पे
रात
और दिन
के ताने बाने पे
कसता हूं
तुम्हारी यादों के
मजबूत धागे
और बुनता हूं
यादों की
एक उदास चादर
जिसपे काढता हूँ
तुम्हारी हंसी के बेलबूटे
जिसे ओढ़ काट दूँगा
दिसंबर जनवरी
की सर्द रातें
मुकेश इलाहाबादी,,,
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment