सारे ख़्वाब तोड़ आया हूँ
गए साल में छोड़ आया हूँ
फिजां में धुंध ही धुंध थी
मै कोहरा ओढ़ आया हूँ
जहाँ तेरा नाम लिखा था
वो पन्ना मोड़ आया हूँ
तेरी यादें बेवफा निकलीं
उनको भी छोड़ आया हूँ
तेरे लिए दुआएं लिख के
मंदिर में छोड़ आया हूँ
मुकेश इलाहाबादी ---
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