एक,,,,
तुम
जब नहा के निकलती हो
तब तुम्हारी खूबसूरत सी नाक की नोक पे
चमकता हुआ एक मोती
तब जी चाहता है
अपनी जीभ की नोक से
छू लूँ तुम्हारी नाक का
चमकता मोती
और महसूस करूँ
मोती का स्वाद
दो,,,
अक्सर जी चाहता है
तुम्हारी इस प्यारी सी नाक को
अपने अंगूठे और तर्ज़नी से पकड़ के
हिला दूँ थोड़ा सा
और जड़ दूं एक प्यारी सी चपत्
और महसूस करूँ
तुम्हारी मुहब्बत से लब्रेज़ झल्लाहट
के साथ चमकते हुए नाक के मोती को
मुकेश इलाहाबादी,,,,,,,,,,,,
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