एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Friday, 22 September 2023
रात भर मैं यूँ ही बहता रहा।
रात भर मैं यूँ ही बहता रहा।
ख़वाब की नदी में तैरता रहा।
यादों के जुगनू चमकते रहे,
देर तक उन्हें ही तकता रहा।
चाँद,सितारें,आसमाँ चुप थे,
पपीहा देर तक बोलता रहा।
अँधेरे में उँकड़ू बैठ कर मैं,
तेरे बारे में ही सोचता रहा।
कोई नहीं था बोलने वाला,
अपनी ही साँसे सुनता रहा।
~ मुकेश इलाहाबादी
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment