एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 6 March 2012
यूँ तो निकल आया हूँ महफ़िल से बहुत दूर
बैठे ठाले की तरंग ----------
यूँ तो निकल आया हूँ महफ़िल से बहुत दूर
फिर क्यूँ हर नफ़स में तेरी याद महकती है ?
मुकेश इलाहाबादी ------------
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