एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 27 July 2012
गर मुहब्बत है एक दूजे से ?
गर मुहब्बत है एक दूजे से ?
तुम्हारी बात हम जाने
हमारी बार तुम जानो
कभी मेरी गली तुम आओ
कभी तुम्हारे घर हम जाएँ
अपने बीच है आग का दरिया
ज़रा सम्हाल कर तुम आओ
ज़रा सम्हाल कर हम आयें
मुकेश इलाहाबादी ------------
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