एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Friday, 31 August 2012
कुछ इनायत हम पे भी कर दीजे
कुछ इनायत हम पे भी कर दीजे
अपनी आखों के नूर हम पे भी बरसने दीजे
है फैला हुआ हर सिम्त रेत का दरिया
कुछ देर के लिए ही सही आबे हयात बहने दीजे
मुकेश इलाहाबादी ----------------------------
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