एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Thursday, 11 October 2012
पीने पिलाने का हमे कभी शौक ही न रहा
पीने पिलाने का हमे कभी शौक ही न रहा
कभी हुआ भी तो अपने दीवाने के घर का रुख किया
वो अपनी आखों से तो कभी बातों से पिलाता रहा
कभी हम बेहोस भी हुए तो वो संभाला किया
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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