एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday, 3 December 2012
खुद ही सजते हैं फिर खुद ही शरमाते हैं
खुद ही सजते हैं फिर खुद ही शरमाते हैं
जिनके लिए सजते हैं उन्ही से घबराते हैं
मुकेश इलाहाबादी ------------------------
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