एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Tuesday, 4 December 2012
दर्द मीठा मीठा जगाए रखते हैं,
दर्द मीठा मीठा जगाए रखते हैं,
तेरे दिए ज़ख्म भी हसीन रहते हैं
जब जब भी हम कांटो सा उगते हैं
आप भी फूलों सा खिला करते हैं
मुकेश इलाहाबादी ---------------
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