एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Monday 18 March 2013
वो मशरूफ हैं इतने ज़माने की ग़ज़ल सुनने मे
वो मशरूफ हैं इतने ज़माने की ग़ज़ल सुनने मे
सुनाई क्या देगी उन्हें हमारे दिल की धड़कने !!
मुकेश इलाहाबादी --------------------------
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