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Monday, 8 April 2013

जाम ऐ समंदर हो या तेरी आखों के पैमाने


जाम ऐ समंदर हो या तेरी आखों के पैमाने
हम वो रिंद हैं जो खाली कर देते हैं मैखाने
मुकेश इलाहाबादी ------------------------

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