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Friday 12 April 2013

कभी परिन्दगी भी अख्तियार कर के देखा होता

 


कभी परिन्दगी भी अख्तियार कर के देखा होता
फलक का नज़ारा ज़मी से बेहतर नज़र आया होता
मुकेश इलाहाबादी -------------------------------------

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