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Thursday 11 July 2013

उम्र लगा दी ख्वाब सजाने मे


 

उम्र लगा दी ख्वाब सजाने मे
इक लम्हा लगा बिखर जाने मे

कासिद अब तक संदेशा  न लाया
शायद कुछ वक्त लगा हो मनाने मे
 

अब जो चंद उखडी साँसे बची है
तुमने बहुत देर लगा दी आने मे

ग़म मे तो सभी संजीदा होते हैं
बहुत मुस्किल  है मुस्कुराने मे

जिक्रे यार हमसे अब न कीजिये
बहुत वक्त लगा है उसे भुलाने मे

मुकेश  इलाहाबादी ..............

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