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Saturday 27 July 2013

चांदनी सा उजाला ले के बैठे हैं

चांदनी सा उजाला ले के बैठे हैं
अपने महबूब के पहलू मे बैठे हैं

आज मैखाने हम न जायेंगे दोस्तों
कि हम जाम ए लब पी के बैठे हैं

फरिस्ते भी आयें तो कह दो कि,
अभी हम दिलेजॉ को लेके बैठे हैं

गुले गुलशन ले के क्या करेंगे ?
कि खजाना ऐ खुष्बू ले के बैठे हैं

चॉद निकले न निकले उसकी मर्जी
हम तो अपना चॉद ले के बैठे हैं

मुकेश  इलाहाबादी .................

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