एक बोर आदमी का रोजनामचा
Pages
Home
Tuesday, 30 July 2013
बैठी है उदासी देर से
बैठी है उदासी देर से
ओढ़े खामोषी देर से
रोषनी के इन्तजार मे
फैली है तीरगी देर से
बादलों के हिजाब मे
छुपी है चांदनी देर से
प्रिय के वियोग मे गोरी
बैठी है अनमनी देर से
उदास ऑखों मे मुकेष
ठहरी है नमी देर से
मुकेष इलाहाबादी ....
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment