Pages

Friday 5 July 2013

कुछ ख़त ओर यादें बच रही थी

 
आज फिर हम उनको मनाने चले
फिर हम पत्थर मे जॉ फुकने चले
 

 कुछ ख़त ओर यादें बच रही थी
उन्हे भी हम गंगा मे बहाने चले

इस मतलबी खुदगर्ज दुनिया मे
कयूं तुम अच्छे इंसा ढूंढने चले

तुम तो बहुत अच्छे थे मुकेश,,
मियां आज तुम भी मैखाने चले

मुकेश इलाहाबादी ................

No comments:

Post a Comment