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Sunday 14 July 2013

शबनमी अश्क ले कर रात रोती रही

 

शबनमी  अश्क ले कर रात रोती रही
साथ मेरे घरकी दरो दीवार रोती रही
 

शानो शौकत,ऐषो आराम सब कुछ था
जिंदगी किसी की याद लेकर रोती रही

हवाओं मे नमी इस बात की गवाह है
चांदनी शब भर सिसक कर रोती रही

दहषत गर्द चैन ओ अमन लॅट ले गये
खौफजदा बस्ती शामो सहर रोती रही

तुम्हारे सामने चुप चुप रहा करती थी
बाद मे तुम्हारा नाम लेकर रोती रही

मुकेश  इलाहाबादी ....................

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