Pages

Saturday 1 February 2014

दोस्त का घर आना हुआ

दोस्त का घर आना हुआ
मनमयूर का नाचना हुआ

गीला शिकवे कहे सुने गए
रूठे सजन को मानना हुआ

साँसों की हर लय पे थिरक
मुहब्बत का नया तराना हुआ

कलियाँ फिर फिर मुस्कुराईं
भौरों का भी गुनगुनाना हुआ

इक हसीन खवाब देखे हुए
मुकेश कितना ज़माना हुआ

मुकेश इलाहाबादी ----------

No comments:

Post a Comment