एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Sunday, 18 May 2014
ले के आये हैं हम उसके पाँव का बोसा
ले के आये हैं हम उसके पाँव का बोसा
हमारे लबों पे अभी भी खुशबू ताज़ा दम है
मुकेश इलाहाबादी ---------------------------
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