एक बोर आदमी का रोजनामचा
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Saturday, 28 June 2014
खुश्बुओं के पाँव नहीं महक होती है
खुश्बुओं के पाँव नहीं महक होती है
ढूंढ लेना तुम इन्हे अपनी साँसों में
मुकेश इलाहाबादी -------------------
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